Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -23-Nov-2022 मेरी सांसों में तुम्हारा आभास

शीर्षक- मेरी सांसों में तुम्हारा आभास

हे हमसफर! तेरे आने का होता आभास,
नैन पलके झुका कर बैठे है आज।

दहलीज पर बैठकर कर रहे हैं इंतजार,
हाथ में लेकर थाली खड़े हैं आज।

सबसे बड़ी तुम्हारी चिट्ठी,
तुम्हारे ही चित्र आंखों में निहारती।

विरह की रात हो गई है बड़ी,
नहीं कटता एक ही पल घड़ी।

लग रहा था जैसे हो गई हो इससे दुश्मनी,
तुम्हारे बिन लगती है जिंदगी बेगानी।

मेरे दिल में है तेरी आहट,
मेरे दिल में है तेरी आवाज।

सनसनी हवाओं में हुआ आभास,
हे सनम !बुला रही है तेरी चाहत।

जब खोलें मैंने आंगन के द्वार,
देखकर आंखें हो गई चार।

मन हो उठा बावरा,
झूमकर लगे नाचने।

तुम्हारे बिन हो गया था उजड़ा मन,
तुम्हारे कदम से उठे हैं उपवन।

चूड़ी बिंदिया चमक रही है आज,
पिया इनको भी हुआ था आभास।

मेरी सांसों में है तुम्हारा आभार,
मेरे जीने का मकसद बस तेरी चाहत।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा

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2 Comments

Gunjan Kamal

24-Nov-2022 09:11 PM

ब बहुत सुंदर

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Abhinav ji

24-Nov-2022 09:17 AM

Very nice👍

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